

भीष्म १०८ सोमयाग प्रकल्प


यज्ञ
सोमयाग यज्ञ
सर्व प्रकार के यज्ञों में जिसे श्रेष्ठ यज्ञ माना जाता है वह सोमयाग यज्ञ है। सोमयाग यह एक श्रौत यज्ञ है। श्रौत मतलब श्रुति के अनुसार होने वाला यज्ञ। जो मुख्य वेद ग्रंथ है जिसमें चार वेद - ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, ब्राह्मण ग्रंथ, आरण्यक ग्रंथ और उपनिषद ग्रंथ इन्हें श्रुति कहते हैं। वेदों का ज्ञान याने श्रुति का ज्ञान इसे अपौरुषेय कहां जाता है। श्रुतियों के आधार पर श्रुतियों के अनुशासन में जो यज्ञ होते हैं उन्हें श्रौत यज्ञ कहा जाता है। श्रौत के बाद आते हैं स्मार्त यज्ञ और काम्य यज्ञ। स्मृती, पुराण ग्रंथ और अन्य ग्रंथोंपर आधारित जो यज्ञ है उन्हें स्मार्त यज्ञ कहते हैं। अनेक प्रकार की कामना जैसे संतान प्राप्ति के लिए पुत्र कामेष्टी, जीर्ण रोग मुक्ति के लिए जीर्णरोग मुक्ति कामेष्टी जैसे यज्ञ किए जाते हैं। इन्हें काम्य यज्ञ कहते हैं।
सोमयाग यज्ञ वैश्विक कल्याण और विश्व शांति हेतु किया जाता है। इसमें मुख्यतः पंचमहाभूतों का संतुलन, वायुमंडल की शुद्धिकरण, वातावरण शुद्धी, प्रदुषणमुक्ति, ऋतुचक्र संतुलन यह मुख्य उद्देश्य होते हैं। सबके कल्याण में मेरा अपना भी कल्याण हो जाता है। व्यष्टि, समष्टि, परमेष्टी (इसका अर्थ व्यक्ति, समाज और ब्रह्मांड) का संतुलन करने का कार्य सोमयाग यज्ञ में होता है। इस यज्ञ के द्वारा दैवी ऊर्जा निर्माण होती है और यज्ञ में सहभागी होने वाले सभी को उसका अनुभव आता है। व्यक्तिगत आरोग्य और शांति, समाधान के लिए यह यज्ञ हर एक व्यक्ती के लिए अत्यंत उपयुक्त है। इस यज्ञ का यजमान बनना यह पुण्यदायी कर्म और दैवी संयोग है।
सोमवल्ली नाम के हिमालय के पहाड़ों में मिलने वाली एक वनस्पति का रस निकालकर सोमयज्ञ में विविध हविद्रव्यों के साथ अंतरिक्ष में बैठे विविध देवताओं को ( शक्ति केंद्रोंको.) आहुति प्रदान की जाती है। अग्नि के माध्यम से यह आहुतियां देवताओं तक पहुंचती है। इस कारण वे देवता प्रसन्न होकर हमें सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं। यज्ञ परंपरा यह एक विज्ञान है। यज्ञ यह एक पॅथी मतलब चिकित्सा पद्धति भी है। यज्ञ में सहभागी होकर अपने शरीर, मन और पंचकोषों में जो परिवर्तन आता है यह एक अनुभव और अतीव आनंद का विषय है।
महासोमयाग के दौरान आप यजमान बनकर या कल्याणार्थी बनकर सभागी हो सकते हैं। इस यज्ञ के दौरान वैज्ञानिक परीक्षण होंगे। Medical Examination भी होंगे। भारतीय संस्कृति, वेदिक संस्कृति, हिंदू संस्कृति यह एक मूलतः यज्ञ संस्कृति है। सर्वे भवंतु सुखिनं, विश्व कल्याण, वसुधैव कुटुंबकम यह मूल भारतीय जीवन विचार और जीवन पद्धति है।
मंत्रशास्त्र एक अद्भुत ऐसा शास्त्र है, विज्ञान है। आज का आधुनिक विज्ञान, Wavelengths, Frequency, तरंग, स्पंदनोकी बात कर रहा है। Consciousness की बात कर रहा है। मंत्रों के उच्चारण से कई प्रकार की Wavelengths, तरंग निर्माण होते हैं और दूर तक प्रभावित करते है। इस सोमयाग के दौरान चारही वेद - ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद - इनके मंत्रों का उच्चारण तथा पठन किया जाएगा। इससे एक देवी ऊर्जा का निर्माण होता है। यह सोमयाग हमारे स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर को प्रभावित करेगा। इस यज्ञ के माध्यम से और मंत्रजागर से भौतिक विज्ञान मनोविज्ञान और सृष्टिविज्ञान की अनुभूति होगी। साथ में भारतीय तत्वज्ञान की महानता का दर्शन होगा।
आप सभी इस महासोमयाग में प्रत्यक्ष सहभागी हो ऐसी विनम्र प्रार्थना है। आप यजमान बनकर, कल्याणार्थी बनकर और तन, मन, धन से अपना योगदान करें ऐसी बिनती है। यज्ञ संस्कृति को पुनःजीवित करने का यह एक प्रयास है। यह एक ईश्वरी कार्य है। आज सारा विश्व अलग-अलग समस्याओं से जूझ रहा है। इस समय सनातन भारतीय हिंदू संस्कृति और भारतीय ज्ञान परंपरा ही विश्व का संरक्षण और संवर्धन कर सकती है ऐसा हमें विश्वास है।
- प्रा. क्षितिज पाटुकले
अध्यक्ष - भीष्म फाउंडेशन फॉर भारतीय नॉलेज सिस्टम, पुणे
विशेष सूचना
१) यज्ञ के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया यज्ञ पीडीएफ डाउनलोड करें
२) यज्ञ स्थली के निकट गांव और भक्तनिवास में रहने की सुविधा उपलब्ध है। उनकी जानकारी इसी वेबसाइट पर उपलब्ध है। पास के शहेरोंमे विविध प्रकार के होटल की सुविधा उपलब्ध है।
३) तेंडीली गांव अत्यंत रमणीय और सुंदर है। पास में उज्ज्वला नदी बहती है। प्राचीन भारत में जो ऋषी मुनिओंके आश्रम थे और अरण्य का, जंगल का एकांत भरा वातावरण था उसकी अनुभूति यहां मिलती है।